ऑपरेशन सिंदूर: पाकिस्तान का 48 घंटे वाला सपना, भारत ने 8 घंटे में तोड़ डाला

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

ऑपरेशन सिंदूर का नाम आज हर किसी की जुबां पर है, और इसका कारण सिर्फ सैन्य शक्ति नहीं, बल्कि पाकिस्तान को चौंकाने वाली भारत की ताकत है। सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने इस ऑपरेशन के पीछे के कारणों को बेबाकी से साझा किया और पाकिस्तान को चेतावनी दी कि अब भारत आतंकवाद और परमाणु ब्लैकमेलिंग की छाया में नहीं जीने वाला।

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पहलगाम आतंकी हमला: संघर्ष का प्रारंभिक बिंदु

पहलगाम में हुआ आतंकी हमला भारतीय सशस्त्र बलों के लिए ऑपरेशन सिंदूर का प्रारंभिक बिंदु बन गया। जनरल चौहान के अनुसार, पाकिस्तान ने भारत को आतंकवाद का शिकार बनाकर खून बहाने की रणनीति बनाई। 1965 में जुल्फिकार अली भुट्टो ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के खिलाफ “1000 साल का युद्ध” की घोषणा की थी, और पाकिस्तान ने उसी रुख को अपनाया। परंतु, भारत की सैन्य रणनीति अब पूरी तरह से बदल चुकी है।

ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने सिर्फ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया, न कि किसी सामान्य नागरिक को। यह साफ संदेश था कि पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों को अब सहन नहीं किया जाएगा।

असीम मुनीर की नफरत: भारत और हिंदुओं के खिलाफ जहर उगलना

जब पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर ने भारत और हिंदुओं के खिलाफ जहर उगला, तो भारतीय सेना ने यह सुनिश्चित किया कि वह हर किसी को सही जवाब देगी। जनरल चौहान के मुताबिक, ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ युद्ध का एक तरीका नहीं था, बल्कि यह राजनीति और युद्ध का समानांतर खेल था।

भारत ने सीमा से आतंकवाद को खत्म करने के लिए एक नई रेखा खींचीअसीम मुनीर के बयानों से यह साफ हो गया कि पाकिस्तान अब केवल आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा था, और भारत को ऐसे हमलों के लिए मजबूर किया जा रहा था।

ऑपरेशन जो 48 घंटे में खत्म करना था, वो 8 घंटे में हो गया

यहां सबसे दिलचस्प बात यह थी कि पाकिस्तान ने सोचा था कि ऑपरेशन सिंदूर 48 घंटे चलेगा, लेकिन भारतीय सैन्य बलों ने इसे 8 घंटे में समाप्त कर दिया। जनरल चौहान ने खुद बताया कि जब पाकिस्तान ने हमलावरों की संख्या बढ़ाई और संघर्ष को और बढ़ाया, तो भारत ने बस आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। और फिर जब पाकिस्तान को महसूस हुआ कि उसका सपना टूट चुका है, तो उसने तुरंत बातचीत की पेशकश की।

अब यह सवाल उठता है—क्या पाकिस्तान 48 घंटे के युद्ध के ख्वाब देख रहा था, या फिर यह एक सैन्य रणनीतिक फाल्सी था?

नुकसान नहीं, परिणाम मायने रखते हैं

जब सीडीएस जनरल अनिल चौहान से पूछा गया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुए नुकसान के बारे में, तो उन्होंने साफ कहा, “नुकसान की बात नहीं, परिणाम मायने रखते हैं।” यही है भारत की युद्ध नीति का सबसे अहम हिस्सा। युद्ध का परिणाम ही महत्वपूर्ण होता है, न कि कितने विमान या रडार नष्ट हुए।

यह बयान शानदार संदेश था कि भारत को किसी तकनीकी नुकसान की चिंता नहीं थी, क्योंकि सैन्य बलों का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद को हराना था, और वह उद्देश्य पूरी तरह से हासिल हुआ

भारत ने पाकिस्तान को पहले ही सूचित किया था

जनरल चौहान ने यह भी स्पष्ट किया कि 7 मई को स्ट्राइक के दिन पाकिस्तान को पहले ही सूचित कर दिया गया था। और जब पाकिस्तान ने जवाबी बयानबाजी शुरू की, तो भारत ने कहा, “अगर आप हमारे सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला करते हैं, तो हम आपको जोरदार जवाब देंगे।” यह एक निर्णायक और साहसी बयान था, जिसने पाकिस्तान के आतंकवादी रवैये को और कड़ा संदेश दिया।

पाकिस्तान के लिए एक साफ संदेश

ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को यह दिखा दिया कि भारत अब आतंकवाद और परमाणु ब्लैकमेलिंग से नहीं डरता। भारत की सैन्य शक्ति और कूटनीतिक चतुराई ने पाकिस्तान को एक मजबूत संदेश दिया कि अगर आतंकवाद की राह पर चलोगे, तो परिणाम भुगतने होंगे।

यह तो साफ हो गया कि भारत का संकल्प अब पहले से कहीं मजबूत है, और पाकिस्तान को आतंकवाद के खेल में हार का सामना करना पड़ेगा।

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